आग लगाना मेरी फितरत में नही है… -Aag Lagana Meri Fitrat Mein Nahi Hai
आग लगाना मेरी फितरत में नही है,
मेरी सादगी से लोग जलें तो मेरा क्या कसूर।
Aag Lagana Meri Fitrat Mein Nahi Hai,
Meri Saadgi Se Log Jale Toh Mera Kya Kasoor.
आग लगाना मेरी फितरत में नही है,
मेरी सादगी से लोग जलें तो मेरा क्या कसूर।
Aag Lagana Meri Fitrat Mein Nahi Hai,
Meri Saadgi Se Log Jale Toh Mera Kya Kasoor.
Kabhi pehli bar school jaane mei dar lagta tha.. Aaj har rasta khud hi chunte hai !! Kabhi mummy-papa ki har... read more
कचरे में फेंकी हुई रोटियां रोज ये ब्यान करती है.. कि पेट भरते ही इंसान अपनी औकात भूल जाता है…!! Kachare... read more
सूरज, चाँद और सितारे मेरे साथ में रहे, जब तक तुम्हारा हाथ मेरे हाथ में रहे, शाखों से जो टूट जाये... read more
गढ़वाली शेरो शायरी – garhwali shayari कितली कि चा इस्टील का गिलास। पलायन पर चलणी चर्चा यख खास। हम बूड बुड्या रैग्यां... read more
सब बिमारी कौ एकै इलाज एक चणकौन चहा गिलास Sab bimaaree ka ek ilaaj ek chanakon chaha gilaas read more
दिखावे की मोहब्बत तो जमाने को हैं हमसे पर, ये दिल तो वहाँ बिकेगा जहाँ ज़ज्बातो की कदर होगी। dikhaave kee... read more
लाख तलवारे बढ़ी आती हों गर्दन की तरफ, सर झुकाना नहीं आता तो झुकाए कैसे। Lakh Talwarein Badi Aati Hon Gardan... read more
हाथ में खंजर ही नहीं आँखों में पानी भी चाहिए, हमें दुश्मन भी थोड़ा खानदानी चाहिए। Haath Mein Khanjar Hi Nahi... read more
तेरे गुरूर को देखकर तेरी तमन्ना ही छोड़ दी हमने, जरा हम भी तो देखें कौन चाहता है तुम्हें हमारी... read more
चमक सूरज की नहीं मेरे किरदार की है, खबर ये आसमाँ के अखबार की है, मैं चलूँ… तो मेरे संग कारवाँ... read more