जहाँ कदर न हो अपनी… -Jaha Kadar Na Ho Apni
जहाँ कदर न हो अपनी वहाँ जाना फ़िज़ूल है,
चाहे किसी का घर हो चाहे किसी का दिल।
Jaha Kadar Na Ho Apni Waha Jana Fizul Hai,
Chahe Kisi Ka Ghar Ho Chaahe Kisi Ka Dil..
अक्सर वही लोग उठाते हैं हम पर उँगलियाँ, जिनकी हमें छूने की औकात नहीं होती। Aksar Wohi Log Uthhate Hain Hum... read more
तू घिनोड़ि गूड़ जसी, नानि-नानी बानां। मिठ त्यौर बुलांण लागूं, भौल त्यौरो चाणा। Tu ghinodee gud jasee, naani-naani banan. mith tyaur bulan laagun, bhaul tyaro... read more
हम अच्छे सही पर लोग ख़राब कहतें हैं, इस देश का बिगड़ा हुआ हमें नवाब कहते हैं, हम ऐसे बदनाम हुए... read more
रहते है आस पास ही लेकिन साथ नहीं होते, कुछ लोग जलते है मुझसे, बस खाक नहीं होते ! Rehte Hain... read more
तुम लौट के आने का तकल्लुफ़ मत करना, हम एक मोहब्बत को दोबारा नहीं करते। Tum laut ke aane ka takalluf... read more
मत इतरा मेरी मोहब्बत पाकर पगली… तुझे क्या पता तेरा नम्बर कितनों के बाद आया है। Mat itara meri mohabbat paakar... read more
दिल दो किसी एक को और वो भी किसी नेक को, मंदिर का प्रसाद नहीं… जो बांट दो हर एक... read more
मेरे लफ्जों से न कर मेरे किरदार का फ़ैसला, तेरा वजूद मिट जायेगा मेरी हकीकत ढूंढ़ते ढूंढ़ते। Mere Lafzon Se Na... read more
पहाड़क हाव, पहाड़क पांणि जैल नि चाख उइल के जांणि पहाड़ हरी-भरी गाड़ हरदम भरी पिरूवक भरी भ्यो अरड़ा पांणि नहौ ऊंच्चा डाव सौक सुकिलौ हिमाला... read more
कहते है हर बात जुबां से हम इशारा नहीं करते, आसमां पर चलने वाले जमीं से गुज़ारा नहीं करते, हर हालात... read more