जहाँ कदर न हो अपनी… -Jaha Kadar Na Ho Apni
जहाँ कदर न हो अपनी वहाँ जाना फ़िज़ूल है,
चाहे किसी का घर हो चाहे किसी का दिल।
Jaha Kadar Na Ho Apni Waha Jana Fizul Hai,
Chahe Kisi Ka Ghar Ho Chaahe Kisi Ka Dil..
शोर करते रहो तुम सुर्ख़ियों में आने का, हमारी तो खामोशियाँ भी एक अखबार हैं। Shor Karte Raho Tum Surkhiyon Me... read more
‘स्माइल’ त्यर देखि बै सब दुख-बिमारी भागी जैं मरणीं लै चंख है जां एक ‘आशा’ ज्यस... read more
मेरे लफ्जों से न कर मेरे किरदार का फ़ैसला, तेरा वजूद मिट जायेगा मेरी हकीकत ढूंढ़ते ढूंढ़ते। Mere Lafzon Se Na... read more
एट्टीट्यूड तो हम मरने के बाद भी दिखाएंगे, दुनिया पैदल चलेगी और हम कंधो पर Attitude too ham marne ke baad... read more
दिखाई कब दिया करते हैं बुनियाद के पत्थर… ज़मीं में जो दब गये इमारत उन्हीं पे क़ायम है… Dikhayi kab diya... read more
तेरे गुरूर को देखकर तेरी तमन्ना ही छोड़ दी हमने, जरा हम भी तो देखें कौन चाहता है तुम्हें हमारी... read more
मैंने वो खोया जो मेरा कभी था ही नहीं लेकिन तुमने वो खोया जो सिर्फ तुम्हारा था maine vo khoya jo... read more
सब बिमारी कौ एकै इलाज एक चणकौन चहा गिलास Sab bimaaree ka ek ilaaj ek chanakon chaha gilaas read more
भूलकर हमें अगर तुम रहते हो सलामत, तो भूलके तुमको संभालना हमें भी आता है, मेरी फ़ितरत में ये आदत नहीं... read more
पहाड़क हाव, पहाड़क पांणि जैल नि चाख उइल के जांणि पहाड़ हरी-भरी गाड़ हरदम भरी पिरूवक भरी भ्यो अरड़ा पांणि नहौ ऊंच्चा डाव सौक सुकिलौ हिमाला... read more