जहाँ कदर न हो अपनी… -Jaha Kadar Na Ho Apni
जहाँ कदर न हो अपनी वहाँ जाना फ़िज़ूल है,
चाहे किसी का घर हो चाहे किसी का दिल।
Jaha Kadar Na Ho Apni Waha Jana Fizul Hai,
Chahe Kisi Ka Ghar Ho Chaahe Kisi Ka Dil..
चलो आज फिर थोडा मुस्कुराया जाये, बिना माचिस के कुछ लोगो को जलाया जाये। Chalo Aaj Phir Thoda Muskuraya Jaye, Bina Maachis... read more
garhwali shayari – गढ़वाली शेरो शायरी स्याण चांदु छो पर नींद नी आंदी चा, करवट बदल – बदली की यनी रात... read more
Na Milne ki Khusi Hogi… Naa Bichhadne Ka Gam… Udas Hain Ham.. Kaise Batayain Kaise hain Ham… Bas Itna Samj Lo... read more
वा दाज्यू कमाल हो गया वा दाज्यू धमाल हो गया चार दिन विदेश क्या घूम आया तुम तो मालामाल हो गया Va... read more
सबके दिलों में धड़कना जरूरी नहीं होता साहब, लोगों की आँखों में खटकने का भी एक मजा है। Sabke Dilon Mein... read more
दिखाई कब दिया करते हैं बुनियाद के पत्थर… ज़मीं में जो दब गये इमारत उन्हीं पे क़ायम है… Dikhayi kab diya... read more
हाथ में खंजर ही नहीं आँखों में पानी भी चाहिए, हमें दुश्मन भी थोड़ा खानदानी चाहिए। Haath Mein Khanjar Hi Nahi... read more
ना तू ‘हां’ करछै ना तू ‘ना’ करछै अधपगल है गोयू मैं आघिन पत्त ने के करछै।। Na tu han karachhai na tu na... read more
ख्वाब में तो ख्वाब पूरे हो नहीं सकते कभी, इसलिए राहे हकीकत पर चला करता हूँ मैं। Khwab Mein Toh Khwab... read more
गुजरते लम्हों में सदियाँ तलाश करता हूँ, प्यास इतनी है कि नदियाँ तलाश करता हूँ, यहाँ पर लोग गिनाते है खूबियां... read more