आग लगाना मेरी फितरत में नही है… -Aag Lagaana Meri Phitarat Mein Nahin Hai
आग लगाना मेरी फितरत में नही है,
मेरी सादगी से लोग जलें तो मेरा क्या कसूर।
Aag lagaana meri phitarat mein nahin hai,
meri saadagee se log jalen to mera kya kasoor.
आग लगाना मेरी फितरत में नही है,
मेरी सादगी से लोग जलें तो मेरा क्या कसूर।
Aag lagaana meri phitarat mein nahin hai,
meri saadagee se log jalen to mera kya kasoor.
अक्सर वही लोग उठाते हैं हम पर उँगलियाँ, जिनकी हमें छूने की औकात नहीं होती। Aksar Wohi Log Uthhate Hain Hum... read more
खुशबू बनकर गुलों से उड़ा करते हैं, धुआं बनकर पर्वतों से उड़ा करते हैं, हमें क्या रोकेंगे ये ज़माने वाले, हम परों... read more
लाख तलवारे बढ़ी आती हों गर्दन की तरफ, सर झुकाना नहीं आता तो झुकाए कैसे। Lakh Talwarein Badi Aati Hon Gardan... read more
एहसान ये रहा तोहमत लगाने वालों का मुझ पर, उठती उँगलियों ने मुझे मशहूर कर दिया। Ehsaan Yeh Raha Tohmat Lagane... read more
दिखावे की मोहब्बत तो जमाने को हैं हमसे पर, ये दिल तो वहाँ बिकेगा जहाँ ज़ज्बातो की कदर होगी। dikhaave kee... read more
चहाइयै रै गोय मै ऊकेंणि पैलि बार देखी जब किनारी बजार मे ऊ लागी हय अपुण खरीदारी मे और मै उइक रूपक... read more
तेरे गुरूर को देखकर तेरी तमन्ना ही छोड़ दी हमने, जरा हम भी तो देखें कौन चाहता है तुम्हें हमारी... read more
भूलकर हमें अगर तुम रहते हो सलामत, तो भूलके तुमको संभालना हमें भी आता है, मेरी फ़ितरत में ये आदत नहीं... read more
एट्टीट्यूड तो हम मरने के बाद भी दिखाएंगे, दुनिया पैदल चलेगी और हम कंधो पर Attitude too ham marne ke baad... read more
गुजरते लम्हों में सदियाँ तलाश करता हूँ, प्यास इतनी है कि नदियाँ तलाश करता हूँ, यहाँ पर लोग गिनाते है खूबियां... read more