एक ऋषि के दो शिष्य थे
एक ऋषि के दो शिष्य थे| जिनमें से एक शिष्य सकारात्मक सोच वाला था वह हमेशा दूसरों की भलाई का सोचता था और दूसरा बहुत नकारात्मक सोच रखता था और स्वभाव से बहुत क्रोधी भी था| एक दिन महात्मा जी अपने दोनों शिष्यों की परीक्षा लेने के लिए उनको जंगल में ले गये|
जंगल में एक आम का पेड़ था जिस पर बहुत सारे खट्टे और मीठे आम लटके हुए थे| ऋषि ने पेड़ की ओर देखा और शिष्यों से कहा की इस पेड़ को ध्यान से देखो| फिर उन्होंने पहले शिष्य से पूछा की तुम्हें क्या दिखाई देता है|शिष्य ने कहा कि ये पेड़ बहुत ही विनम्र है लोग इसको पत्थर मारते हैं फिर भी ये बिना कुछ कहे फल देता है| इसी तरह इंसान को भी होना चाहिए, कितनी भी परेशानी हो विनम्रता और त्याग की भावना नहीं छोड़नी चाहिए| फिर दूसरे शिष्या से पूछा कि तुम क्या देखते हो, उसने क्रोधित होते हुए कहा की ये पेड़ बहुत धूर्त है बिना पत्थर मारे ये कभी फल नहीं देता इससे फल लेने के लिए इसे मारना ही पड़ेगा|इसी तरह मनुष्य को भी अपने मतलब की चीज़ें दूसरों से छीन लेनी चाहिए| गुरु जी हँसते हुए पहले शिष्य की बढ़ाई की और दूसरे शिष्य से भी उससे सीख लेने के लिए कहा| सकारात्मक सोच हमारे जीवन पर बहुत गहरा असर डालती है| नकारात्मक सोच के व्यक्ति अच्छी चीज़ों मे भी बुराई ही ढूंढते हैं|उदाहरण के लिए:- गुलाब के फूल को काँटों से घिरा देखकर नकारात्मक सोच वाला व्यक्ति सोचता है की “इस फूल की इतनी खूबसूरती का क्या फ़ायदा इतना सुंदर होने पर भी ये काँटों से घिरा है ” जबकि उसी फूल को देखकर सकारात्मक सोच वाला व्यक्ति बोलता है की “वाह! प्रकर्ती का कितना सुंदर कार्य है की इतने काँटों के बीच भी इतना सुंदर फूल खिला दिया” बात एक ही है लेकिन फ़र्क है केवल सोच का|
तो मित्रों, अपनी सोच को सकारात्मक और बड़ा बनाइए तभी हम अपने जीवन में कुछ कर सकते हैं|