एक बार एक अजनबी
एक बार एक अजनबी किसी के घर गया। वह अंदर गया और
मेहमान कक्ष मे बैठ गया। वह खाली हाथ आया था तो उसने
सोचा कि कुछ उपहार देना अच्छा रहेगा। तो उसने वहा टंगी एक
पेन्टिंग उतारी और जब घर का मालिक आया, उसने पेन्टिंग देते हुए
कहा, “यह मै आपके लिए लाया हुँ।”
घर का मालिक, जिसे पता था कि यह मेरी चीज मुझे ही भेंट दे
रहा है, सन्न रह गया।
अब आप ही बताएं कि क्या वह भेंट पा कर, जो कि पहले से
ही उसकी है, उस आदमी को खुश होना चाहिए ? मेरे ख्याल से
नहीं।
लेकिन यही चीज हम भगवान के साथ भी करते है। हम उन्हे फूल,
फल और हर चीज जो उनकी ही बनाई है, उन्हे भेंट करते हैं और
सोचते हैं कि ईश्वर खुश हो जाएगें। हम यह नहीं समझते
कि उनको इन सब चीजो कि जरुरत नही। अगर आप सच मे उन्हे
कुछ देना चाहते हैं तो अपना प्यार दीजिए उन्हे अपने हर एक
श्वास मे याद करके और विश्वास मानिए प्रभु जरुर खुश होगा ।
अगर सच में आप मालिक की सेवा करना चाहते है तो उस मालिक
के बनाये इंसानों की सेवा करो। हर इंसान के दिल में वो प्रभु वास
करता है। कोई इंसान आपकी सेवा से खुश हुआ तो समझो मालिक
आप से खुश है।