किसी रोज़ याद न कर पाऊं तो खुदगर्ज़ न समझ लेना… -Kisi Roj Yaad Na Kar Pau To Khudgarj Na Samajh Lena
किसी रोज़ याद न कर पाऊं तो खुदगर्ज़ न समझ लेना,
दरसल छोटी सी इस उम्र में परेशानिया बहुत हैं,
मैं भूला नहीं हूँ किसी को मेरे बहुत अच्छे दोस्त हैं ज़माने में,
बस थोड़ी ज़िन्दगी उलझ पड़ी है दो वक़्त की रोटी कमाने में|
Kisi Roj Yaad Na Kar Pau To Khudgarj Na Samajh Lena,
Darasl Choti Si Iss Umar Mai Presaniya Bhut Hai,
Main Bhoola Nhi Hu Kisi Ko Mere Bahot Achhe Dost Hai Zmane Me,
Bs Thodi Zindagi Ulajh Pdi Hai Do Waqt Ki Roti Kmane Me