संता सिंह घर के बाहर बैठा पानी से
संता सिंह घर के बाहर बैठा पानी से भरे
मटके में हाथ घुमा रहा था,
सो, वहां से गुज़रते हुए बंता सिंह ने पूछा,
“क्या कर रहे हो, संता भाई…?”
संता ने जवाब दिया,
“भाई, मछलियां पकड़ रहा हूं…”
बंता ने तुरन्त संता के गाल पर
एक ज़ोरदार तमाचा रसीद किया, और बोला,
“अबे गधे, कहीं मटके में भी मछलियां पैदा होती हैं…?”
संता चुपचाप वापस बैठ गया,
और जब कुछ देर बाद बंता सिंह लौटा,
तब भी संता उसी तरह मटके में हाथ घुमा रहा था,
सो, बंता ने फिर पूछा,
“क्यों संता भाई,
क्या तुम अभी तक मछलियां पकड़ रहे हो…?”
संता तुरन्त उठा,
और बंता के गाल पर
ज़ोरदार तमाचा मारकर बोला,
“अबे गधे, कहीं मटके में भी मछलियां पैदा होती हैं…?