क्या खूब मजबूरिया थी मेरी भी- Kya Khoob Majbooriya Thi Meri Bhi
क्या खूब मजबूरिया थी मेरी भी
अपनी खुशी को छोड़ दिया
उसे खुश देखने के लिए
Kya khoob majbooriya thi meri bhi
apni khushi ko chod diya
use khush dekhne ke liye
क्या खूब मजबूरिया थी मेरी भी
अपनी खुशी को छोड़ दिया
उसे खुश देखने के लिए
Kya khoob majbooriya thi meri bhi
apni khushi ko chod diya
use khush dekhne ke liye
अगर तुम्हें यकीं नहीं तो कहने को कुछ नहीं मेरे पास ! अगर तुम्हें यकीं है तो मुझे कुछ कहने... read more
भूलना चाहो तो भी याद हमारी आएगी, दिल की गहराई मे हमारी तस्वीर बस जाएगी. ढूढ़ने चले हो हमसे बेहतर दोस्त, तलाश... read more
नही छोड़ी कमी किसी भी रिश्ते को निभाने में मैंने कभी… आने वाले को दिल का रास्ता भी दिया और जाने वाले... read more
दाग़ दुनिया ने दिए जख़्म ज़माने से मिले ! हम को तोहफे ये तुम्हें दोस्त बनाने से मिले !! Daag duniya... read more
कभी हमसे भी पल दो पल बातें कर लिया करो ! क्या पता आज हम तरस रहे है कल आप... read more
मिलना बिछड़ना सब किस्मत का खेल है कभी नफरत तो कभी दिलों का मेल है बिक जाता है हर रिश्ता दुनिया... read more
दर्द से दोस्ती हो गई यारो, जिंदगी बेदर्द हो गई यारो क्या हुआ, जो जल गया आशियाना हमारा, दूर तक रोशनी तो... read more
एक चाहने वाला ऐसा हो… जो बिल्कुल तेरे जैसा हो. Ek chahne wala aisa ho … jo bilkul tere jaisa ho. read more
उदास नहीं होना, क्योंकि मैं साथ हूँ सामने न सही पर आस-पास हूँ पल्को को बंद कर जब भी दिल में... read more
कमियाँ तो मुझमें भी बहुत है,पर मैं बेईमान नहीं मैं सबको अपना मानता हूँ सोचता फायदा या नुकसान नहीं एक शौक... read more