क्या खूब मजबूरिया थी मेरी भी- Kya Khoob Majbooriya Thi Meri Bhi
क्या खूब मजबूरिया थी मेरी भी
अपनी खुशी को छोड़ दिया
उसे खुश देखने के लिए
Kya khoob majbooriya thi meri bhi
apni khushi ko chod diya
use khush dekhne ke liye
क्या खूब मजबूरिया थी मेरी भी
अपनी खुशी को छोड़ दिया
उसे खुश देखने के लिए
Kya khoob majbooriya thi meri bhi
apni khushi ko chod diya
use khush dekhne ke liye
दाग़ दुनिया ने दिए जख़्म ज़माने से मिले ! हम को तोहफे ये तुम्हें दोस्त बनाने से मिले !! Daag duniya... read more
रिश्ते उन्ही से बनाओ जो निभाने की औकात रखते हो Rishte unhi se banao jo nibhane ki aukaat rakhte ho read more
किस्मत पर एतबार किसको हैं ! मिल जाये खुसी इंकार किसको हैं ! कुछ मजबूरियां हैं मेरे दोस्त ! वरना जुदाई से... read more
इन पलकों में कैद कुछ सपने है कुछ बेगाने है कुछ अपने है ना जाने कैसी कशिश है इन ख्यालो में कुछ... read more
सिर्फ शायरी पढने का रिश्ता ना रखो कभी खैरियत भी तो पूछ कर देखो Sirph shayari padhne ka rishta na rakho kabhi... read more
तुझ पे कुर्बान मेरी यारी है, हस के मर जाऊं इस की तैयारी है, सिलसिला न खतम हो अपने प्यार का, क्यूंकी... read more
हम तो बिछड़े थे तुमको अपना अहसास दिलाने के लिए मगर तुमने तो मेरे बिना ही जीना सीख लिया ham to... read more
भूलना चाहो तो भी याद हमारी आएगी, दिल की गहराई मे हमारी तस्वीर बस जाएगी. ढूढ़ने चले हो हमसे बेहतर दोस्त, तलाश... read more
दर्द से दोस्ती हो गई यारो, जिंदगी बेदर्द हो गई यारो क्या हुआ, जो जल गया आशियाना हमारा, दूर तक रोशनी तो... read more
तेरा मेरा नाम लिखा था जिन पर हमने बचपन में ! उन पेड़ों से आज भी तेरे हाथों की खुश़बू... read more