क्या खूब मजबूरिया थी मेरी भी- Kya Khoob Majbooriya Thi Meri Bhi
क्या खूब मजबूरिया थी मेरी भी
अपनी खुशी को छोड़ दिया
उसे खुश देखने के लिए
Kya khoob majbooriya thi meri bhi
apni khushi ko chod diya
use khush dekhne ke liye
क्या खूब मजबूरिया थी मेरी भी
अपनी खुशी को छोड़ दिया
उसे खुश देखने के लिए
Kya khoob majbooriya thi meri bhi
apni khushi ko chod diya
use khush dekhne ke liye
छू ले आसमान ज़मीन की तलाश ना कर जी ले ज़िंदगी खुशी की तलाश ना कर तकदीर बदल जाएगी खुद ही... read more
एक जुर्म हुआ है हम से, एक यार बना बैठे हैं, कुछ अपना उसको समझ कर, सब राज बता बैठे हैं, फ़िर उसकी... read more
मिल जाए कोई नया तो हमें ना भुला देना, कोई रुलाए तुम्हे तो हमें याद कर लेना, दोस्त रहेंगे उमर भर... read more
रिश्ते तोड़ देना हमारी फितरत मे नही ! हम तो बदनाम हैं रिश्ते निभाने के लिए !! Rishte tod dena hamaari... read more
कभी हमसे भी पल दो पल बातें कर लिया करो ! क्या पता आज हम तरस रहे है कल आप... read more
मैं कभी बुरा नहीं था,पर उसनें मुझे बुरा कह दिया ! फिर मैं बुरा बन गया,ताकि उन्हें कोई झुठ ना... read more
मेरी हर बात समझ जातें हो तुम, फिर भी क्युँ मुझे सताते हो तुम तुम बिन कोई और नहीं मेरा, शायद इसी... read more
सिर्फ शायरी पढने का रिश्ता ना रखो कभी खैरियत भी तो पूछ कर देखो Sirph shayari padhne ka rishta na rakho kabhi... read more
वक्त दोस्त और रिश्ते वो चीजे है जो हमे मुफ्त मिलती है -मगर इनकी कीमत पता हमे तब चलता है जब ये... read more
हकीकत मोहब्बत की जुदाई होती है कभी कभी प्यार में बेवफाई होती है , हमारे तरफ हाथ बढ़ा कर तो देखो, पता... read more